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संचार एवं मीडिया अध्ययन केंद्र 
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हहंदी ववश्वववव्यालय 
सन्नी कुमार गोंड़ 
एम.फिल जनसंचार 
ननदेशक 
िॉ अख्तर आलम 
संगोष्ट्ठी पत्र- वरटं मीडिया शोध 
्ववतीय रश्वन-पत्र
वरटं मीडिया शोध
मीडिया शोध क्या है? 
मीडिया के संदर्भ में शोध ‘मीडिया शोध’ कहलाता है। मीडिया शोध का 
अर्भ समाचारपत्र, पत्रत्रका, समाचार सममनतयां, ववज्ञापन, जनसंपकभ, 
रेडियो, टेलीववजन, इंटरनेट, ननजी चैनल, संचार की पारस्पररक 
प्धनतयां व रणामलयां आहद से संबंधधत तथ्यों तर्ा घटनाओं के संदर्भ 
में ज्ञान राप्त करने या उनकी जांच परीक्षण करने के मलए वैज्ञाननक 
प्धनतयों या रणामलयों से की गयी व्यवस्स्र्त खोज है।
मीडिया शोध में हम फकसका शोध 
करते हैं? 
मीडिया शोध में हम जनसंचार रफिया के ववमर्न्न 
पहलुओं व उनके अंत: संबंधों का वैज्ञाननक अध्ययन 
करते हैं। 
जनसंचार रफकया में एक व्यस्क्त, संगठन, समूह 
आहद के ्वारा सूचना एक माध्यम से ववस्तृत 
जनसमूह तक पहुंचाई जाती है।
जनसंचार रफिया 
संचारक संदेश माध्यम रापक रर्ाव िीिबैक
वरटं मीडिया 
 छपे हुए मैटीररयल से आम जनता तक सूचना 
पहुिंचाने का काय तही प्रिटिं मीडडया है। 
भरत झुनझुनवाला 
 प्रिटिं मीडडया साक्षरता पर आिाररत ज्ञान और 
सूचनाओिं के व्यापक िसार का सबसे पहला 
माध्यम है। 
मिंजरी जोशी 
 भारत में मुद्रण कला को लाने का श्रेय पुततगाल 
ममशननररयों को जाता है। सन ्1556 में यह ममशनरी 
इस कला को भारत लेकर आए थे और गोवा में पहला 
प्रिन्टिंग िेस स्थाप्रपत ककया। 
 भारत का पहला समाचार-पत्र 29 जनवरी 1780 को 
छपा। जेम्स अगस्टस हहक्की ने बिंगाल गजट या 
कलकत्ता जनरल एडवाइजर के नाम से साप्ताहहक पत्र 
शुरू ककया। 
 इसी हिन से भारत में पत्रकाररता प्रवधिवत आरिंभ 
माना जाता है।
वरटं मीडिया शोध 
वरटं मीडिया शोध का संबंध रकामशत मीडिया से है। इसके 
अंतगभत समाचार-पत्र, पत्रत्रकाएं, पुस्तक आहद आते हैं। 
 प्रिटिं मीडडया शोि की शुरुआत सन ्1830-40 के िौरान हुई जब फ्ािंस के 
इनतहासकार एलेनक्सस िे टोक्यूप्रवल ने यह अध्ययन ककया कक फ्ािंस के 
अखबार अमेररका के अखबार से ताकतवर कैसे हैं? 
 उ्होंने पाया कक अमेररका में ज्यािा अखबार िकामशत होते हैं और फ्ािंस 
में कम तब भी ताकतवर। अमेररका के अखबारों में तीन चौथाई पेज 
प्रवज्ञापनों से भरे रहते और एक चौथाई पर छोटे मुद्िे छाए रहते थे। 
जबकक फ्ािंस के अखबार छोटे व बेमतलब के मुद्िों से बचते थे और फ्ािंस 
के अखबारों में प्रवज्ञापन की मात्रा भी कम थी।
सन ्1900 से पहले अलबटत स्टेफल जो की समाजशास्त्री थे उ्होंने िेस का 
राजनीनतक िलों एविं जनता पर िभाव का अध्ययन ककया। उ्होंने यह अध्ययन 
ककया कक राजनीनतक िलों जो मुद्िा बना रहे हैं उसमें वह समाचार-पत्र से 
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मैक्स प्रवबर ने 1910 में समाचार-पत्रों के किंटेंट का अध्ययन ककया। उ्होंने 
जनता पर समाचार-पत्रों के किंटेंट के िभाव का अध्ययन ककया और राजनीनतक, 
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िथम प्रवश्वयुद्ि के बाि जेजी टेडेट ने समाचार के मनोप्रवज्ञान का अध्ययन 
ककया। िथम प्रवश्वयुद्ि के बाि पत्र पढ़ने के बाि लोगों कक क्या मानमसकता 
थी। 
इिंग्लैंड के एफ डब्ल्यू स्रेटक ने िथम और द्प्रवतीय प्रवश्व युद्ि के बीच 
अखबारों राजनेताओिं और नेताओिं से सिंबिंधित छह मामलों का अध्ययन ककया। 
इस अध्ययन में उ्होंने िेखा की पीत पत्रकाररता के द्वारा नेताओिं को िभाप्रवत 
ककया जा सकता है।
वरटं मीडिया शोध में ननम्न का 
अध्ययन फकया जाता है। 
समाचारपत्र रबंध या संगठन शोध 
1990 के िशक में पाया गया कक समाचारपत्र िबिंि शोि का काफी त्वररत 
गनत से प्रवकास हुआ। यह प्रवकास प्रवमभ्न कारणों से हुआ। समाचारपत्र का 
आकार व्यापक एविं प्रवस्तृत हो गया। िनतस्ििात बढ़ी, आकार बढ़ने के कारण 
समाचारपत्र उद्योग िक्ष एविं व्यावसानयक मीडडया कममतयों पर अधिक आधश्रत 
होने लगे। 
इसके साथ ही सिंगठन या कहें कौन सा ब्ािंड है यह भी महत्वपूणत है। क्योंकक 
लोगों को ककसी समाचारपत्र या पत्रत्रका पर ज्यािा भरोसा होता है िूसरे पर 
कम। हर सिंगठन की खबर चुनने की नीनत अलग होती है। वह अपने 
वैचाररक और व्यवसानयक हहतों को ध्यान में रखकर खबर का चयन करते हैं। 
इस प्रवषय पर भी शोि क्या जा सकता है कक एक सिंस्थान में खबर चुनने में 
कौन-कौन से चीजों का ध्यान रखा जाता है। 
इसके अलावा सिंगठन अपने पाठक बढ़ाने के मलए कौन-कौन सी नीनत बना 
रहा है आहि शोि इसके अिंतगतत होते हैं।
ववषय शोध या संदेश शोध- 
यह माध्यमों के सिंिेशों या प्रवषय-सामाग्री का अध्ययन है। प्रवषय सामग्री की 
कई श्रेणणयािं हैं जैसे समाचार, प्रवचार, मनोरिंजन, प्रवज्ञापन आहि। इस शोि में 
समाचारपत्र में िी जानेवाली खबरों और प्रवषय का शोि करते हैं। आज के 
समय में राजनीनत, खेल, आधथतक, मशक्षा, साहहत्य, प्रवज्ञान आहि कई तरह के 
क्षेत्रों की खबरें समाचारपत्र में िी जा रही है। सभी समाचारपत्र अपनी 
प्रवचारिारा और नीनत के अनुरूप इन प्रवषयों को कम या ज्यािा स्थान िेते हैं। 
इसके साथ ही हर समाचारपत्र का राजनीनतक और आधथतक दृनष्ट्टकोण अलग 
होता है। एक ही नीनत की कोई आलोचना करता है और कोई उसका पक्ष लेता 
है। यह सब प्रवषय भी शोि के अिंतगतत आते हैं। इसके अलावा समाचारपत्र की 
भाषा का भी अध्ययन ककया जाता है। इस तरह के शोि में गुणात्मक और 
गणनात्मक िोनों तरह का अध्ययन होता है। 
जैसे एक समाचारपत्र ने महहलों से सिंबिंधित ककतनी खबरें िी यह गणनात्मक 
शोि हुआ जबकक खबरों में महहलाओिं के बारे को कैसे पेश ककया गया यह 
गुणात्मक शोि हुआ।
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तत्वों का परीक्षण ककया जाता है। इसमेंग्राकफक्स का िभाव पाठकों पर िेखा 
जाता है। टाइपोग्राफी एविंसाज-सज्जा का अध्ययन प्रवमभ्न िकार के 
समाचारपत्रों एविंपत्रत्रकाओिंके डडजाइन तत्वों का पाठकों एविंपाठकों की 
समाचार िाथममकता पर िभाव िेखने के मलए ककया जाता है।
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समाचारपत्र का लक्ष्य होता है अपने पाठक को िभाप्रवत करना। द्प्रवतीय प्रवश्व 
युद्ि के बाि अमेररका में अनेक रीडरमशप शोि ककए गए। जाजत गैलोप 
सिंगठन को इस िकार के शोि प्रवधि के प्रवकास का जनक माना जाता है, 
इसमें पाठकों को समाचारपत्र की िनतयािं हिखाई गयीिं और उन आलेखों को 
पहचानने को कहा गया, नज्हें उन लोगों ने पढ़ा था। इस शोि के द्वारा 
ननिातररत ककया जाता है कक समाचारपत्र कौन पढ़ रहा है? ककस िकार का 
पाठक इनमें क्या पड़ता है? पाठक इ्हें क्यों पढ़ता है? ककस िकार के पाठक 
को ककस िकार सिंतुनष्ट्ट ममलती है? पाठक इ्हें ककतनी िेर पढ़ता है? 
मीडडया के मामलक अपने पाठक की िकृनत जानने के इच्छुक रहते हैं ताकक 
उनकी जरूरतों व रुधचयों के अनुसार मीडडया समाग्री तैयार की जाए। 
प्रवपज्ञापनिाता भी अपने लक्षक्षत पाठक की प्रवशेषताओिं की जानकारी रखते हैं। 
पाठक सवेक्षण इसका उत्त्म उिाहरण है।
रर्ाव का अध्ययन- इसमेंसमाचारपत्र और उसमें िी गई सामग्री का पाठकों 
पर िभाव का अध्ययन ककया जाता है। समाचारपत्र में छपी खबरों ने लोगों के 
प्रवचारों व व्यवहार को कैसे िभाप्रवत ककया। शोिकतात मीडडया के व्यनक्तगत, 
सामानजक, सािंस्कृनतक व राजनीनतक आहि के िभावों का वणतन करने की 
कोमशश करता है। िभाव सिंबिंिी शोि अध्ययन प्रवज्ञापन, जनसिंपकत व चुनावी 
अमभयानों के क्षेत्रों में बहुत महत्व रखता है। 
िीिबैक का अध्ययन- फीडबैक ककसी भी सिंचार को िभावी बनाने के मलए एक 
आवश्यक तत्व है। प्रिटिं मीडडया में फीडबैक की गनत काफी िीमी होती है। 
िीि िॉरवि भअध्ययन- प्रिटिं मीडडया में इस तरह के शोि ककए जाते हैं। ककसी 
तरह के सिंचार को शुरू करने पहले अपने पाठक वगत जान लेना एक अच्छा 
ननणतय हो सकता है।
जनसंचार रफिया 
संचारक संदेश माध्यम रापक रर्ाव िीिबैक 
समाचार पत्र रबंध 
या संगठन शोध 
टाइपोग्रािी एवं 
साज-सज्जा शोध 
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संदेश शोध 
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पाठक शोध 
रर्ाव का 
अध्ययन 
िीिबैक 
अध्ययन
शोध की उपयोधगता 
बेहतर कंटेंट और कुछ नया करने के मलए- हमेंशोि के द्वारा ही यह 
जानकारी ममलती है कक पाठक क्या चीज पढ़ता है और उसे क्या चीज ज्यािा 
िभाप्रवत करती है। साथ ही शोि से यह भी पता चल सकता है कक पाठक 
अपने समाचारपत्र मेंऔर कौन सी चीजे पढ़ना चाहता है। यह जानकारी 
ककसी भी समाचारपत्र सिंगठन के मलए काफी आवश्यकत सूचना है। नजससे 
वह अपने किंटेंट को बेहतर बना सकता है। 
मस्धांत ननमाभण के मलए- मसद्िािंत ननमातण शोि के उद्िेश्यों मेंशाममल है। 
मीडडया शोि भी इससे अछूता नहीिंहै। जैसे एजेंडा सेहटिंग थ्योरी आहि। 
नकारात्मक रर्ावों को जानने मेंसहायक- मीडडया एक समय मेंकाफी 
जानकारी सिंचाररत करती है। नजसके नकारात्मक और सकारात्मक िोनों तरह 
के असर पड़ते हैं। नकारात्मक िभावों को जानने के मलए भी मीडडया शोि 
ककया जाता है। नजससे उसे नस्थनत से आगे बचा जा सके।
र्ववष्ट्य की योजना और तैयाररयों में सहायक- शोि का एक सबसे बड़ा फायिा 
या लाभ यह होता है कक इससे हम भप्रवष्ट्य की प्लाननगिं या योजनाएिं बना 
सकते हैं। शोि के द्वारा हमें समस्या या सिंभावनाओिं का सही-सहीिं औसत िाप्त 
होता है। उसी आिार पर सिंगठन खुि को भप्रवष्ट्य के मलए तैयार कर लेगा। 
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रहा है और उसमें लोगों की रूधच भी बिल रही है। शोि के द्वारा ही यह पता 
चलती है कक उनकी रूधच में कैसे बिलाव आ रहे हैं। उनकी सोच क्या बिलाव 
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मीडडया शोि (डॉ ियाल शमात) 
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Print media research

  • 1. संचार एवं मीडिया अध्ययन केंद्र महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हहंदी ववश्वववव्यालय सन्नी कुमार गोंड़ एम.फिल जनसंचार ननदेशक िॉ अख्तर आलम संगोष्ट्ठी पत्र- वरटं मीडिया शोध ्ववतीय रश्वन-पत्र
  • 3. मीडिया शोध क्या है? मीडिया के संदर्भ में शोध ‘मीडिया शोध’ कहलाता है। मीडिया शोध का अर्भ समाचारपत्र, पत्रत्रका, समाचार सममनतयां, ववज्ञापन, जनसंपकभ, रेडियो, टेलीववजन, इंटरनेट, ननजी चैनल, संचार की पारस्पररक प्धनतयां व रणामलयां आहद से संबंधधत तथ्यों तर्ा घटनाओं के संदर्भ में ज्ञान राप्त करने या उनकी जांच परीक्षण करने के मलए वैज्ञाननक प्धनतयों या रणामलयों से की गयी व्यवस्स्र्त खोज है।
  • 4. मीडिया शोध में हम फकसका शोध करते हैं? मीडिया शोध में हम जनसंचार रफिया के ववमर्न्न पहलुओं व उनके अंत: संबंधों का वैज्ञाननक अध्ययन करते हैं। जनसंचार रफकया में एक व्यस्क्त, संगठन, समूह आहद के ्वारा सूचना एक माध्यम से ववस्तृत जनसमूह तक पहुंचाई जाती है।
  • 5. जनसंचार रफिया संचारक संदेश माध्यम रापक रर्ाव िीिबैक
  • 6. वरटं मीडिया  छपे हुए मैटीररयल से आम जनता तक सूचना पहुिंचाने का काय तही प्रिटिं मीडडया है। भरत झुनझुनवाला  प्रिटिं मीडडया साक्षरता पर आिाररत ज्ञान और सूचनाओिं के व्यापक िसार का सबसे पहला माध्यम है। मिंजरी जोशी  भारत में मुद्रण कला को लाने का श्रेय पुततगाल ममशननररयों को जाता है। सन ्1556 में यह ममशनरी इस कला को भारत लेकर आए थे और गोवा में पहला प्रिन्टिंग िेस स्थाप्रपत ककया।  भारत का पहला समाचार-पत्र 29 जनवरी 1780 को छपा। जेम्स अगस्टस हहक्की ने बिंगाल गजट या कलकत्ता जनरल एडवाइजर के नाम से साप्ताहहक पत्र शुरू ककया।  इसी हिन से भारत में पत्रकाररता प्रवधिवत आरिंभ माना जाता है।
  • 7. वरटं मीडिया शोध वरटं मीडिया शोध का संबंध रकामशत मीडिया से है। इसके अंतगभत समाचार-पत्र, पत्रत्रकाएं, पुस्तक आहद आते हैं।  प्रिटिं मीडडया शोि की शुरुआत सन ्1830-40 के िौरान हुई जब फ्ािंस के इनतहासकार एलेनक्सस िे टोक्यूप्रवल ने यह अध्ययन ककया कक फ्ािंस के अखबार अमेररका के अखबार से ताकतवर कैसे हैं?  उ्होंने पाया कक अमेररका में ज्यािा अखबार िकामशत होते हैं और फ्ािंस में कम तब भी ताकतवर। अमेररका के अखबारों में तीन चौथाई पेज प्रवज्ञापनों से भरे रहते और एक चौथाई पर छोटे मुद्िे छाए रहते थे। जबकक फ्ािंस के अखबार छोटे व बेमतलब के मुद्िों से बचते थे और फ्ािंस के अखबारों में प्रवज्ञापन की मात्रा भी कम थी।
  • 8. सन ्1900 से पहले अलबटत स्टेफल जो की समाजशास्त्री थे उ्होंने िेस का राजनीनतक िलों एविं जनता पर िभाव का अध्ययन ककया। उ्होंने यह अध्ययन ककया कक राजनीनतक िलों जो मुद्िा बना रहे हैं उसमें वह समाचार-पत्र से सामग्री ले रहे हैं या नहीिं। मैक्स प्रवबर ने 1910 में समाचार-पत्रों के किंटेंट का अध्ययन ककया। उ्होंने जनता पर समाचार-पत्रों के किंटेंट के िभाव का अध्ययन ककया और राजनीनतक, सामानजक, राष्ट्रीय मुद्िों को समाचार-पत्र ककतना महत्व िेते हैं। िथम प्रवश्वयुद्ि के बाि जेजी टेडेट ने समाचार के मनोप्रवज्ञान का अध्ययन ककया। िथम प्रवश्वयुद्ि के बाि पत्र पढ़ने के बाि लोगों कक क्या मानमसकता थी। इिंग्लैंड के एफ डब्ल्यू स्रेटक ने िथम और द्प्रवतीय प्रवश्व युद्ि के बीच अखबारों राजनेताओिं और नेताओिं से सिंबिंधित छह मामलों का अध्ययन ककया। इस अध्ययन में उ्होंने िेखा की पीत पत्रकाररता के द्वारा नेताओिं को िभाप्रवत ककया जा सकता है।
  • 9. वरटं मीडिया शोध में ननम्न का अध्ययन फकया जाता है। समाचारपत्र रबंध या संगठन शोध 1990 के िशक में पाया गया कक समाचारपत्र िबिंि शोि का काफी त्वररत गनत से प्रवकास हुआ। यह प्रवकास प्रवमभ्न कारणों से हुआ। समाचारपत्र का आकार व्यापक एविं प्रवस्तृत हो गया। िनतस्ििात बढ़ी, आकार बढ़ने के कारण समाचारपत्र उद्योग िक्ष एविं व्यावसानयक मीडडया कममतयों पर अधिक आधश्रत होने लगे। इसके साथ ही सिंगठन या कहें कौन सा ब्ािंड है यह भी महत्वपूणत है। क्योंकक लोगों को ककसी समाचारपत्र या पत्रत्रका पर ज्यािा भरोसा होता है िूसरे पर कम। हर सिंगठन की खबर चुनने की नीनत अलग होती है। वह अपने वैचाररक और व्यवसानयक हहतों को ध्यान में रखकर खबर का चयन करते हैं। इस प्रवषय पर भी शोि क्या जा सकता है कक एक सिंस्थान में खबर चुनने में कौन-कौन से चीजों का ध्यान रखा जाता है। इसके अलावा सिंगठन अपने पाठक बढ़ाने के मलए कौन-कौन सी नीनत बना रहा है आहि शोि इसके अिंतगतत होते हैं।
  • 10. ववषय शोध या संदेश शोध- यह माध्यमों के सिंिेशों या प्रवषय-सामाग्री का अध्ययन है। प्रवषय सामग्री की कई श्रेणणयािं हैं जैसे समाचार, प्रवचार, मनोरिंजन, प्रवज्ञापन आहि। इस शोि में समाचारपत्र में िी जानेवाली खबरों और प्रवषय का शोि करते हैं। आज के समय में राजनीनत, खेल, आधथतक, मशक्षा, साहहत्य, प्रवज्ञान आहि कई तरह के क्षेत्रों की खबरें समाचारपत्र में िी जा रही है। सभी समाचारपत्र अपनी प्रवचारिारा और नीनत के अनुरूप इन प्रवषयों को कम या ज्यािा स्थान िेते हैं। इसके साथ ही हर समाचारपत्र का राजनीनतक और आधथतक दृनष्ट्टकोण अलग होता है। एक ही नीनत की कोई आलोचना करता है और कोई उसका पक्ष लेता है। यह सब प्रवषय भी शोि के अिंतगतत आते हैं। इसके अलावा समाचारपत्र की भाषा का भी अध्ययन ककया जाता है। इस तरह के शोि में गुणात्मक और गणनात्मक िोनों तरह का अध्ययन होता है। जैसे एक समाचारपत्र ने महहलों से सिंबिंधित ककतनी खबरें िी यह गणनात्मक शोि हुआ जबकक खबरों में महहलाओिं के बारे को कैसे पेश ककया गया यह गुणात्मक शोि हुआ।
  • 11. टाइपोग्रािी एवं साज-सज्जा शोध- इसमेंप्रवमभ्न टाइपोग्राफी एविंसाज-सज्जा तत्वों का परीक्षण ककया जाता है। इसमेंग्राकफक्स का िभाव पाठकों पर िेखा जाता है। टाइपोग्राफी एविंसाज-सज्जा का अध्ययन प्रवमभ्न िकार के समाचारपत्रों एविंपत्रत्रकाओिंके डडजाइन तत्वों का पाठकों एविंपाठकों की समाचार िाथममकता पर िभाव िेखने के मलए ककया जाता है।
  • 12. रीिरमशप शोध या पाठक शोध- समाचारपत्र का लक्ष्य होता है अपने पाठक को िभाप्रवत करना। द्प्रवतीय प्रवश्व युद्ि के बाि अमेररका में अनेक रीडरमशप शोि ककए गए। जाजत गैलोप सिंगठन को इस िकार के शोि प्रवधि के प्रवकास का जनक माना जाता है, इसमें पाठकों को समाचारपत्र की िनतयािं हिखाई गयीिं और उन आलेखों को पहचानने को कहा गया, नज्हें उन लोगों ने पढ़ा था। इस शोि के द्वारा ननिातररत ककया जाता है कक समाचारपत्र कौन पढ़ रहा है? ककस िकार का पाठक इनमें क्या पड़ता है? पाठक इ्हें क्यों पढ़ता है? ककस िकार के पाठक को ककस िकार सिंतुनष्ट्ट ममलती है? पाठक इ्हें ककतनी िेर पढ़ता है? मीडडया के मामलक अपने पाठक की िकृनत जानने के इच्छुक रहते हैं ताकक उनकी जरूरतों व रुधचयों के अनुसार मीडडया समाग्री तैयार की जाए। प्रवपज्ञापनिाता भी अपने लक्षक्षत पाठक की प्रवशेषताओिं की जानकारी रखते हैं। पाठक सवेक्षण इसका उत्त्म उिाहरण है।
  • 13. रर्ाव का अध्ययन- इसमेंसमाचारपत्र और उसमें िी गई सामग्री का पाठकों पर िभाव का अध्ययन ककया जाता है। समाचारपत्र में छपी खबरों ने लोगों के प्रवचारों व व्यवहार को कैसे िभाप्रवत ककया। शोिकतात मीडडया के व्यनक्तगत, सामानजक, सािंस्कृनतक व राजनीनतक आहि के िभावों का वणतन करने की कोमशश करता है। िभाव सिंबिंिी शोि अध्ययन प्रवज्ञापन, जनसिंपकत व चुनावी अमभयानों के क्षेत्रों में बहुत महत्व रखता है। िीिबैक का अध्ययन- फीडबैक ककसी भी सिंचार को िभावी बनाने के मलए एक आवश्यक तत्व है। प्रिटिं मीडडया में फीडबैक की गनत काफी िीमी होती है। िीि िॉरवि भअध्ययन- प्रिटिं मीडडया में इस तरह के शोि ककए जाते हैं। ककसी तरह के सिंचार को शुरू करने पहले अपने पाठक वगत जान लेना एक अच्छा ननणतय हो सकता है।
  • 14. जनसंचार रफिया संचारक संदेश माध्यम रापक रर्ाव िीिबैक समाचार पत्र रबंध या संगठन शोध टाइपोग्रािी एवं साज-सज्जा शोध ववषय शोध या संदेश शोध रीिरमशप शोध या पाठक शोध रर्ाव का अध्ययन िीिबैक अध्ययन
  • 15. शोध की उपयोधगता बेहतर कंटेंट और कुछ नया करने के मलए- हमेंशोि के द्वारा ही यह जानकारी ममलती है कक पाठक क्या चीज पढ़ता है और उसे क्या चीज ज्यािा िभाप्रवत करती है। साथ ही शोि से यह भी पता चल सकता है कक पाठक अपने समाचारपत्र मेंऔर कौन सी चीजे पढ़ना चाहता है। यह जानकारी ककसी भी समाचारपत्र सिंगठन के मलए काफी आवश्यकत सूचना है। नजससे वह अपने किंटेंट को बेहतर बना सकता है। मस्धांत ननमाभण के मलए- मसद्िािंत ननमातण शोि के उद्िेश्यों मेंशाममल है। मीडडया शोि भी इससे अछूता नहीिंहै। जैसे एजेंडा सेहटिंग थ्योरी आहि। नकारात्मक रर्ावों को जानने मेंसहायक- मीडडया एक समय मेंकाफी जानकारी सिंचाररत करती है। नजसके नकारात्मक और सकारात्मक िोनों तरह के असर पड़ते हैं। नकारात्मक िभावों को जानने के मलए भी मीडडया शोि ककया जाता है। नजससे उसे नस्थनत से आगे बचा जा सके।
  • 16. र्ववष्ट्य की योजना और तैयाररयों में सहायक- शोि का एक सबसे बड़ा फायिा या लाभ यह होता है कक इससे हम भप्रवष्ट्य की प्लाननगिं या योजनाएिं बना सकते हैं। शोि के द्वारा हमें समस्या या सिंभावनाओिं का सही-सहीिं औसत िाप्त होता है। उसी आिार पर सिंगठन खुि को भप्रवष्ट्य के मलए तैयार कर लेगा। लोगों की बदली हुई रूधच को जानने में सहायक- आज समाज तेजी से बिल रहा है और उसमें लोगों की रूधच भी बिल रही है। शोि के द्वारा ही यह पता चलती है कक उनकी रूधच में कैसे बिलाव आ रहे हैं। उनकी सोच क्या बिलाव आ रहे हैं और उनके कारण क्या है।
  • 17. सिंिभत मीडडया शोि (डॉ ियाल शमात) मीडडया शोि (ऋतु गोठी) प्रिटिं मीडडया मसद्िािंत एविं व्यवहार (रूपचििं गौतम) क्लास नोट्स