3. कमभू म पृ ठ 3
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
www.hindiusa.org 1-877-HINDIUSA
थापना: नवंबर २००१ सं थापक: देवे संह
ह द यू.एस.ए. के कसी भी सद य ने कोई पद नह ं लया है, क तु व भ न कायभार वहन करने के
अनुसार उनका प रचय इस कार है:
हम को सार भाषाओं म ह द यार लगती है, नार के म तक पर जैसे कु मकु म बंद सजती है।
नदेशक मंडल के सद य
देवे संह (मु य संयोजक) – 856-625-4335
र चता संह ( श ण तथा श ण संयोिजका) – 609-248-5966
राज म तल (धनरा श संयोजक) – 732-423-4619
अचना कु मार (सां कृ तक काय म संयोिजका) – 732-372-1911
माणक काबरा ( बंध संयोजक) – 718-414-5429
सुशील अ वाल (प का ‘कमभू म’ संयोजक) – 908-361-0220
पाठशाला संचालक/संचा लकाएँ
श ण स म त
र चता संह – क न ठा १ तर
जय ी कलवचवाला - क न ठा २ तर
मो नका गु ता – थमा १ तर
क वता साद, स जोत ताटके – थमा २ तर
धीरज बंसल, द पाल जैन – म यमा १ तर
पुनीता वोहरा – म यमा २ तर
अचना कु मार – म यमा ३ तर
सुशील अ वाल – उ च तर १
अनुजा काबरा – उ च तर २
ए डसन: माणक काबरा (718-414-5429)
संजीव गु ता (732-216-1786) शवा आय (908-812-1253)
साउथ ंि वक: उमेश महाजन (732-274-2733)
मॉ टगोमर : अ वैत/अ णध त तारे (609-651-8775)
प कै टवे: द पक/नूतन लाल (732-428-7340)
ई ट ंि वक: मैनो मुमु (732-698-0118)
वुड ज: अचना कु मार (732-372-1911)
जस सट : सु बु नटराजन (201-984-4766)
लसबोरो: गुलशन मग (609-451-0126)
लॉरस वल: जगद श वज़ीरानी (609-647-4906)
जवॉटर: सु च नायर (908-393-5259)
चैर हल: देव संह (609-248-5966)
चै टरफ ड: श ा सूद (609-920-0177)
ि लन: पूनम अ बी (201-563-1814)
होमडेल: सुषमा कु मार (732-264-3304)
मोनरो: सुनीता गुलाट (732-656-1962)
नॉरवॉक: बलराज सुनेजा (203-613-9257)
नॉथ ुंि वक: गीता टंडन (732-789-8036)
टैमफड: मनीष महे वर (203-522-8888)
4. पृ ठ 4 कमभू म
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
संपादक य
तेरहव ह द महो सव के अवसर पर ‘कमभू म’ का एक वशेष ‘ नातक वशेषांक’ आप के हाथ म
है। यह वशेष इस लए है य क इसम ८० तशत से अ धक साम ी इस वष होने वाले और पूव नातक
ने दान क है।
यह सुखद आ चय है क १४ वष पूव २ व ा थय से ारंभ हुई हंद यू.एस.ए. सं था के ४०० से
अ धक श क और कायकता वतमान म ४,००० से अ धक व ा थय को हंद बोलने, पढ़ने और लखने के
ारं भक ान देने म जी-जान से लगे हुए ह। इसी यास का प रणाम है क अब तक हंद यू.एस.ए से
२५० से अ धक नातक नकल चुके ह। यह ‘ नातक वशेषांक’ इस ‘कमभू म’ प का के १०० से अ धक
पेज भरने म हंद यू.एस.ए. के नातक क भू मका और उनके योगदान को प ट प से द शत करता
है। इस वष हंद यू.एस.ए. से पास हुए ८८ नातक का स मान तेरहव हंद महो सव म कया जा रहा है।
हंद यू.एस.ए. ने इस वष अपने युवा कायकताओं के लए एक स मान और ी त-भोज का आयोजन कया।
उसक रपोट पृ ठ ९ पर पढ़।
पछले कई वष म हंद यू.एस.ए. से नातक हुए युवाओं के वचार उनके लेख के मा यम से पेज
२० से ारंभ होते ह। ह द सीखने से सं कृ त क ओर बढ़ने क सरल या ा तय करने म ह द क
सहायता को बहुत ह अ छे तर के से एक नातक ने समझाया। “ ह द को यवहार क भाषा बनाने से ह
ह द अ छे से सीखी जा सकती है”, ऐसा समझाते हुए अपने अनुभव को बाँटते हुए लेख “मने ह द कै से
सीखी” ब च का एक यास है। आप इन लेख को यान से प ढ़ए और हम लख क हम हंद भाषा को
नई पीढ़ को थानांत रत करने के यास म कहाँ तक सफल हुए ह।
इस ‘ नातक वशेषांक’ क व श ट तु त हंद यू.एस.ए. से अब तक के उ तीण हुए नातक क
डायरे टर है िजसे पृ ठ ४७ से देखा जा सकता है। हंद यू.एस.ए. ढ़ व वास से यह कह सकता है क
कु छ वष म नातक क डायरे टर ‘कमभू म’ का ह सा न होकर एक अलग काशन के प म उपल ध
होगी।
िजसका आ मगौरव न ट हो जाता है वह यि त, स यता या सं कृ त न ट हो जाती है। ह द
भाषा का चार- सार ह ह द यू.एस.ए. का उ े य रहा, परंतु वैचा रक सोच के वल उ े य को आधार दान
करती है, जब तक इस सोच का काया वयन न कया जाए उ े य को ा त नह ं कया जा सकता। परंतु
ह द यू.एस.ए. ने सदैव अपने उ े य क पू त करने म स पूण एवं ठोस काय कए और भावी पीढ़ को
भाषा से जोड़ने का यास कया ता क उनका आ मगौरव न ट न हो जाए। भाषा आ मगौरव को बनाए
रखने क सबसे थम व सश त सीढ़ है।
हम उन पाठक का ध यवाद देते ह जो ‘कमभू म’ पढ़ते ह और हम अपने वचार से अवगत करवाते
5. कमभू म पृ ठ 5
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
ह द यू.एस.ए. उ तर अमे रका क सबसे बड़ी वयंसेवी सं था है। नरंतर १३ वष से ह द के चार सार म
कायरत है। कसी भी सं था को सुचा प से चलाने के लए नयमाव लय व अनुशासन के धागे म परोना अ त
आव यक है। इस त वीर म आप ह द यू.एस.ए. सं था के वयंसेवी कायकताओं को, जो सं था के मजबूत त भ ह,
देख सकते ह। यू जस म ह द यू.एस.ए. क १८ पाठशालाएँ चलती ह। पाठशाला संचालक पर ह अपनी-अपनी
पाठशाला को सुचा प से नयमानुसार चलाने का कायभार रहता है। सं था के सभी नयम व नणय सभी
कायकताओं क उपि थ त म मा सक सभा म लए जाते ह। पाठशालाओं म ब च का पंजीकरण अ ैल माह से ह
आर भ हो जाता है। व भ न ९ तर म ह द क क ाएँ चलती ह। नया स सत बर माह के दूसरे स ताह से
आर भ होकर जून माह के दूसरे स ताह तक चलता है। यू जस से बाहर अमे रका के व भ न- व भ न रा य म भी
ह द यू.एस.ए. के व यालय ह। ह द यू.एस.ए. के कायकता बहुत ह ती ग त से अपने उ े य क ओर अ सर होते
हुए अपना सहयोग दे रहे ह। य द आप भी अपनी भाषा, अपनी सं कृ त को संजोये रखने म सहभागी बनना चाहते ह
तो ह द यू.एस.ए. प रवार का सद य बन।
ह द यू.एस.ए. क पाठशालाओं के संचालक
ह। इसे रे ग तान म खले हुए म उ ान क तरह मान और इसके संर ण म जो भी उपयु त योगदान हो
सके अव य द।
ह द यू.एस.ए. आपक आलोचनाओं व समालोचनाओं का वागत करता है एवं आपके उ चत व मतानुसार
योगदान क आशा रखता है।
आइए! हम सब मलकर “जय ह द ” का नारा लगाएँ, और यह कामना कर क
“अमर रहे वैभव तेरा ह द माँ तू महान, कर हम अं तम साँस तक तेरा ह यशगान” तेरा गौरवगान!!
ध यवाद!
6. पृ ठ 6 कमभू म
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
०८ - श क अ भनंदन समारोह
०९ - युवा वयंसेवक स मान
१० - भारत से एक च ी ह द यू.एस.ए. के नाम
१२ - मेरे न हे नाटककार
१६ - चैर हल म यमा-३ पाठशाला ोजै ट
१७ - ए डसन पाठशाला म यमा-३
१८ - साउथ ंि वक ह द पाठशाला
२० - हंद से सं कृ त क ओर, मेरा य योहार
२१ - फागुन के रंग
२२ - योहार म कै से बनाएँ गुिजया
२३ - ह द सीखना काम आया २४ - नवरा ी
२५ - धमा बी: एक अनुभव २६ - कै से आया जूता
२७ - घुमावदार या ा, होल
२८ - मेर भारत या ा, मेरा प रवार
२९ - मेर हंद या ा
३० - दवाल - मेरा पसंद दा योहार, भारत या ा
३१ - मेर हवाई या ा, मेरा य खेल
३२ - श काएँ, हर रोज दौड़ लगाओ
३३ - भारत म यादगार छु याँ, गणप त
३४ - वैलटाइन दवस ३५ - मेर यादगार या ा
३६ - मेरा भारत दशन
३७ - भूम डल य तापमान वृ , मदर टेरेसा
३८ - भारतीय यंजन क या ा
३९ - मेरा प दादा जी के नाम ४० - णकाएँ
लेख—सूची
अपनी त याएँ एवं सुझाव हम अव य भेज
हम वप न न पते पर लख
karmbhoomi@hindiusa.org
या डाक वारा न न पते पर भेज:
Hindi USA
70 Homestead Drive
Pemberton, NJ 08068
संर क
देव संह
परेखा एवं रचना
सुशील अ वाल
स पादक य मंडल
देव संह
माणक काबरा
अचना कु मार
राज म तल
मु य पृ ठ रचना
वसु अ वाल - नातक २००९
४२ - कल आज और कल ह द यू.एस.ए.
४४ - द ांत समारोह - शुभ या ा का आर भ है
४५ - हंद यू.एस.ए. के नातक को संदेश
४७ - हंद यू.एस.ए. नातक नदे शका
६३ - नातक क ह द या ा
८६ - आव यकता है आज समाज को नया ि टकोण...
८९ - उ तराखंड खंड का पुन नमाण
९१ - उपहार ९७ - पाठशालाओं के लेख
7. कमभू म पृ ठ 7
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
Veena Trehan
82-01, Britton ave.
Elmhurst, NY 1137
ी मान काबरा जी,
म यू यॉक नवासी वीना ेहन पछले २० साल से कै थो लक कू ल म kindergarten क
अ या पका रह हूँ। मुझे २०१३ म यू जस म आयोिजत महो सव देखने का अवसर मला, मेरा ८ वष य
पोता और १२ वष क पोती पछले ३ वष से ह द क ा म जा रहे ह। ब च का उ साह, अ यापक वारा
आयोजन व वयंसे वय क भागदौड़ सारे ब ध सराहनीय थे। देश से दूर भाषा, पर पराएँ व सं कृ त
बनाए रखने के यास म आपक सं था का सफल यास अ त शंसनीय है। म कमभू म के अगले स के
लए लेख भी लखना चाहूँगी।
ध यवाद,
शुभ चंतक,
वीना ेहन
आदरणीय ह द यू.एस.ए. कायका रणी दल,
म वुड ज ह द पाठशाला क श का
पछले ३ वष से पहले क न ठा और अब थमा-१ तर को पढ़ा रह हूँ। म
पहले एक अ भभावक के प म ह द यू.एस.ए. से जुड़ी और फर श क बन
गई। मुझे अपने भा य पर गव है, क इस सं था से जुड़ने का मुझे अवसर
ा त हुआ। मेरा बेटा अभी उ च तर-२ से नातक होगा, और गव क बात है क यह भी अगले वष से
मेरे साथ युवा ह द श क के प म काय करना चाहता है। वह सदा कमभू म के लए अपनी न ह ं
कलम से लेख भी लखता रहा है, और इसके लए म ह द यू.एस.ए. का सादर आभार कट करती हूँ क
इस सं था ने ब च को एक ऐसा मंच दान कया है जहाँ ब चे भाषा के साथ-साथ सं कृ त से जुड़े ह और
उनम आ म व वास आया है। म आशा करती हूँ क भ व य म भी यह सं था इसी कार काय करती
रहेगी।
ध यवाद,
वीनस जैन
8. पृ ठ 8 कमभू म
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
आज हंद यू.एस.ए. न के वल अमे रका म
बि क सारे व व म हंद श ण म लगी सबसे बड़ी
वयंसेवी सं था बन गई है। इस सं था म लगभग
३५० श क- श काएँ तथा अ य मह वपूण काय
को स प न करने वाले कायकता न: वाथ भावना
तथा लगन के साथ अनेक वष से इससे जुड़े हुए ह।
अपने कायकताओं तथा श क को ो सा हत
करने तथा उनके काय क सराहना करते हुए उ ह
ध यवाद देने के लए हंद यू.एस.ए. सं था क ओर
से तवष श क अ भनंदन समारोह का आयोजन
कया जाता है िजसम सभी कायकताओं और श क
को उनके जीवन-साथी के साथ ी त-भोज म
आमं त कया जाता है।
इस वष भी हंद यू.एस.ए. ने अपने सभी
वयंसेवक के स मान म जनवर ४ को वशाल रा
-भोज तथा अ भनंदन समारोह का धूम-धाम से
आयोजन कया। इस समारोह को सफल बनाने का
िजतना उ साह हंद यू.एस.ए. के बोड के सद य को
रहता है उतना ह उ साह श क- श काओं को इस
काय म के लए व भ न सां कृ तक काय म तैयार
कर इसे एक और मधुर यादगार बनाने का रहता है।
इस वष भी श क ने सामू हक नृ य,
भजन, गीत, हा य नाटक तथा अ य सां कृ तक
काय म को तुत कया। हंद यू.एस.ए. क ओर
से सभी वयंसेवक-से वकाओं को मंच पर बुलाकर
स मा नत कया गया तथा उपहार दान कए गए।
इस वष लगभग ३०० लोग ने इसम पूण उ साह से
भाग लया।
श क अ भनंदन समारोह
9. कमभू म पृ ठ 9
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
जब हंद यू.एस.ए. का ारंभ हुआ था तब
इसक नींव के वयंसेवक ने सपना देखा था क
एक दन ऐसा आएगा जब हंद पढ़ने वाले व याथ
वयं हंद के श क एवं वयंसेवक बनगे। यह
सपना साकार हुआ है और पछले पाँच वष से त
वष नए-नए हंद नातक हमारे हंद सखाने के
अ भयान म जुड़ते रहे।
समय के साथ-साथ इनक सं या इतनी
अ धक हो गई क इस वष इन युवा वयंसेवक के
लए हंद यू.एस.ए. ने एक वशेष अ भनंदन समारोह
माच 30 को कया।
इस समारोह म सभी युवा वयंसेवक को
शि त प दान करते हुए हंद यू.एस.ए. ने
ध यवाद दया। पाठशाला के संचालक ने अपनी-
अपनी पाठशाला के युवा वयंसेवक के काय क
शंसा करते हुए उनके बारे म अ छ -अ छ बात
बता । इन बात का सार यह था क “ये सभी युवा
अपनी इ छा से च लेते हुए लगनपूवक काय कर
रहे ह और इसे करने म गव का अनुभव करते ह।“
कु छ युवाओं ने अपने वचार, सुझाव तथा
सं मरण भी सुनाए। कु छ युवाओं ने अपनी गायन
तथा नृ य-कला का दशन भी कया। काय म के
अंत म सभी ने मलकर भोजन के साथ आपस म
वातालाप कया।
युवा वयंसेवक स मान
युवा वयंसेवक
10. पृ ठ 10 कमभू म
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
भारत से एक च ी ह द यू.एस.ए. के नाम
हेमलता द खत
य देवे संह जी और र चता जी,
ीमती सुधा तोमर (र चता जी क माताजी)
के सौज य से ह द यू.एस.ए. ैमा सक प का
"कमभू म" का स हवाँ अंक, मई २०१३ देखने को
मला। मुझे खुशी है क आप ह द के चार सार
के लए लगन से काम कर रहे है। अंक म श क-
श काओं और व या थय के लेख, क वताएँ और
ा ग पढ़ने और देखने को मले। आपने ब च क
रचनाएँ उ ह ं क शैल म रहने देकर उनक मौ लकता
का प रचय दया है। श क के लेख, ान और
जानकार से भरपूर ह। प का म भारतीय योहार -
होल , दवाल , नवरा , गणेश पूजा आ द के बारे म
पढ़कर बहुत अ छा लगा। आप सब दूर रहकर भी
अपनी म ी से जुड़े ह और भारतीय मू य और
सं कार को सहेजे हुए ह, इस बात ने मुझे बहुत
भा वत कया। साथ ह शवाजी, वामी ववेकान द
और शह द भगत संह पर लेख पढ़कर भी बहुत खुशी
हुई। आप दोन , आपके सभी सहयोगी, श क-
श काओं, व या थय और ह द यू.एस.ए. से जुड़े
सभी सद य को बहुत-बहुत बधाई और शाबाशी।
अब म आपक प का के अनु प ह अपना
प रचय देती हूँ। मेरा नाम डॉ. हेमलता द खत है। म
वग य कनल मंगल संह क सबसे छोट बेट हूँ। म
पो ट ेजूएट कॉलेज धार, म य देश, भारत क
रटायड संपल हूँ। म जानती हूँ क आपके यहाँ
ं सपल को ेसीडट कहा जाता है। धार िजला मशहूर
पयटन थल मांडू के लए स है। मुझे रटायर
हुए १३ वष हो चुके ह और हमारे यहाँ रटायरमट क
उ ६२ वष है। तो अब आप समझ ह गए ह गे क
मेर उ कतनी है।
म आपको एक मह वपूण बात बताती हूँ। मने
अं ेजी सा ह य म सन ् १९६२ म एम.ए. पास कया
था। ३१ वष तक कई कॉलेज म अं ेजी भाषा और
अं ेजी सा ह य पढ़ाया। ७ साल तक धार के क या
महा व यालय और पो ट ेजुएट कॉलेज म ं सपल
रह । इन ३८ वष के दौरान मने ह द -अं ेजी दोन
भाषाओं क कताब क ह द म समी ाएँ लखीं,
साथ ह कु छ नबंध और प भी लखे। मने अं ेजी
म लखी और छपी हुई बहुत सी कहा नय का ह द
अनुवाद भी कया। यह सभी समी ाएँ, नबंध और
कहा नयाँ म य देश क प -प काओं म छप चुक
ह। मने सन ् २०१० म द खत प रवार के म ल
कॉ यूशन पर एक कताब लखी है 'घर क
छावनी'। ज द ह मेर दूसर पु तक व व क पं ह
स कहा नयाँ भी आने वाल है। आपको यह
जानकर खुशी होगी क म पढ़ाती तो अं ेजी भाषा
थी, ले कन म पछले प चीस साल से ह द म
लख रह हूँ। ह द मेर मातृभाषा है। ह द मेर
रा भाषा है। म ह द म ह सोचती हूँ और ह द म
ह सपने देखती हूँ।
हमारा प रवार पाँच पी ढ़य से देश सेवा म
लगा है। मेरे दादाजी, पताजी, भाई लोग, भाँजे-भतीजे
और दामाद सभी लोग आम म थे और ह। मझले
भैया मेजर अजीत संह संयु त रा संघ क शां त
11. कमभू म पृ ठ 11
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
सेना के तहत १९६१ म कांगो गए थे और वह ं शह द
हुए। यू.एन. ईयर बुक १९६१ म उनका िज है। इस
हादसे के बाद भी प रवार के लोग ने आम वाईन
करना नह ं छोड़ा। फौिजय को डर नह ं लगता है। वे
जानते ह क कायर आदमी एक ह जीवन म कई बार
मरता है, ले कन बहादुर आदमी के वल एक बार मरता
है और वह भी स मान के साथ। ब च म चाहती हूँ
क आप सभी बहादुर बन। फौजी लोग अंध व वास
पर भरोसा नह ं करते, इस लए जब ब ल रा ता
काटती है तो म सबसे पहले सड़क पार करती हूँ।
ब ल का रा ता काटना या छ ंक आना हमारा कु छ
भी नह ं बगाड़ सकते। हमम आ म व वास होना
चा हए और हम कभी भी कमजोर नह ं पड़ना चा हए।
फौजी प रवार ने मुझे अनुशासन भी सखाया
ह। इस सीख के कारण मेर पूर दनचया स वस के
दौरान और रटायरमट के बाद भी पूर तरह से
अनुशा सत है। हर काम का समय तय है। म सुबह
ज द उठती हूँ और काम क सूची बना लेती हूँ क
आज मुझे या- या करना है। समय बंधन से काम
सरल सु वधाजनक और तनाव र हत तर के से हो
जाता है और म थकती भी नह ं हूँ। मुझे पताजी और
बड़े भाई-बहन ने जब जो काम याद आए उसे त काल
नोट करना सखाया है। मेरे घर के हर कमरे म पेन
और कागज रखे ह। मुझे यह भी सखाया गया है क
कोई काम छोटा नह ं होता। हम अपना काम
ईमानदार से करना चा हए। अं ेजी म एक कहावत है
"वक इज़ वर शप" अथात ् काम को पूजा भाव से
करना चा हए। मने एक क सा पढ़ा था। एक बार
"नासा" म े सडे ट आने वाले थे। रसच से टर के
बाहर एक सफाई कमचार लगन से अपना का कर
रहा था।
े सडे ट ने उससे पूछा " या कर रहे हो ?"
उसने जवाब दया - " पेस शटल बनाने म
मदद कर रहा हूँ ीमान"। यह "वक इज़ वर शप" और
" डग नट ऑफ लेबर" का एक सुंदर उदाहरण है।
अंत म एक और बात शेयर करना चाहूँगी।
पताजी ने हम सभी भाई-बहन को सखाया है क
हम जो कु छ भी कमाते ह उसम समाज का भी ह सा
होता है। भारत के धम और नी त ंथ म भी यह
लखा है। हम अपनी आमदनी का कु छ ह सा समाज
पर खच करके परोपकार करना चा हए।
रामच रतमानस म लखा है "पर हत स रस, धरम
नह ं भाई"। बाइ बल म भी दान क म हमा बताई गई
है। म छोट उ के ब च को श ा दान करती हूँ।
मने पहल से दसवीं क ा तक के छ: ब च को गोद
ले रखा है। उ ह कू ल म भत करवाकर म उनक
फ स भरती हूँ। कताब , यू नफाम, बस और र शे का
खचा माता- पता उठाते ह। इस काम म मेरे भाई-बहन
और भतीिजयाँ भी मदद करती ह।
आपको यह जानकर खुशी होगी क सन ् १९८८
म मेर माँ क मृ यु के बाद म यू.एस.ए. आई थी।
अपनी भतीिजय के पास कने ट कट टेट के जपोट
शहर म ठहर थी। उस दौरान मने यूयाक,
वा शंगटन, टे यू आफ लबट , े सडट हाउस और
नया ा फाल देखा था। मने कु छ यू नव स टयाँ भी
देखी थीं िजनम यूयाक, जपोट और नाथ
के रोलाईना क टेट यू नव सट मु य थी। अबक बार
जब म यू.एस.ए. आऊँ गी तो ह द यू.एस.ए. के
कू ल म ज र जाऊँ गी और ब च से मुलाकात
क ँ गी। अब आप मुझसे प र चत हो गए ह तो अगल
बार म आपक प का के लए लेख भेजूँगी। इस बार
तो प के वल पहचान के लये लखा है।
आप सब को ह द यू.एस.ए. के उ वल
भ व य के लए शुभकामनाएँ।
12. पृ ठ 12 कमभू म
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
मेरे न हे नाटककार
म लगभग १५ वष से हंद पढ़ा रह हूँ। हंद का येक काय मुझे आनंद देने वाला होता है, ले कन मुझे सबसे अ धक
आनंद और सुख तब मलता है जब मेरे व याथ मेर आशाओं से भी बढ़कर काम करते ह। इस वष अपनी उ च तर-
2 क क ा म भी मुझे कु छ ऐसा ह अनुभव हुआ जब मेरे व या थय ने अपनी त दन क सम याओं को नाटक के
प म लखा। इन नाटक के वारा उ ह ने अपनी परेशानी अपने माता- पता तक ह द म पहुँचाई। यह बात उनके
अंदर एक आ म व वास भी जगाती है क वे अपनी सम याएँ अपने ह द लेखन वारा समाज़ तक पहुँचा सकते ह।
आशा है आप भी इन नाटक के पीछे छु पे संदेश को समझ पाएँगे। ये सभी नाटक “माता- पता और मेरे बीच क नोक-
झ क” वषय पर आधा रत ह।
घर म शाम के समय
नाटककार - वपुल भ
पताजी: वपुल, तु हार पढ़ाई कै सी चल रह है?
वपुल: मेर पढ़ाई ठ क चल रह है।
पताजी: तु ह याद दला रहा हूँ क तु हार पर ा अगले स ताह है। या तुम खूब पढ़ रहे हो?
वपुल: मुझे पता है और म पढ़ रहा हूँ, ले कन मुझे रोज़ दौड़ लगाने का अ यास भी करना है।
पताजी: या तुम पर ा ख म होने तक दौड़ने का अ यास बंद कर सकते हो?
वपुल: नह ं पताजी। मुझे हर रोज़ दौड़ना ज र है य क दो ह ते म मेर तयो गता है।
पताजी: ठ क है, ले कन तु ह अपनी पढ़ाई म पीछे नह ं होना चा हए। पढ़ाई दौड़ से अ धक मह वपूण
है। अ छे अंक मलने से अ छे कॉलेज म भत हो पाओगे।
वपुल: म आपको व वास दलाता हूँ क म अपनी पढ़ाई म पीछे नह ं रहूँगा। परंतु अ छे कॉलेज म
भत होने के लए पढ़ाई के साथ-साथ खेल म भी अ छा होना चा हए।
पताजी: तुम अपनी दौड़ का अ यास कर सकते हो, ले कन पढ़ाई म यादा समय लगाना चा हए।
वपुल: ठ क है।
र चता संह
13. कमभू म पृ ठ 13
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
माँ: चलो बेटा। लोक क क ा के लए देर हो रह है।
सुधीश: वह तो शाम ७:०० बजे है। अभी तो सफ ३:०० बजे ह।
रि म: मुझे लगता है क सुधीश आलसी हो गया है या घड़ी देखकर समय बताना भूल गया है।
सुधीश: फर ठ क है। तुम ह देखो।
रि म: यह घड़ी बंद पड़ी है!
माँ: अब तो चलो न!
( श का के घर)
श का: अंदर आओ सुधीश।
अनव: नम ते सुधीश। या तु ह अगले स ताह मेरे घर खेलने के लए आना है?
सुधीश: हाँ! म घर जाकर माँ से पूछकर तु ह बताऊँ गा।
सुधीश और अनव साथ म: हम आज कौन सा लोक सीखगे?
श का: हम आज गणेश जी के लोक सीखगे।
(तीन लोक का अ यास करते ह)
सुधीश: ध यवाद! म चलता हूँ।
(घर म)
माँ: आपने कौन सा लोक सीखा?
सुधीश: मने गणेश जी का लोक सीखा।
व तुंड महाकाय, सूय को ट सम भ,
न व नं कु मे देव, सवकायषु सवदा।
माँ: इस लोक का मतलब या है ?
सुधीश: इस लोक म गणेश जी के सुंदर अंग का वणन है तथा बताया गया है क वे सभी व न का
नाश करके हमारे सभी काम को सफल करते ह।
माँ: बहुत अ छा बेटा!
लोक क श ा
नाटककार: सुधीश देव डगा
पा - अनव, सुधीश, माँ, श का, रि म
14. पृ ठ 14 कमभू म
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
नह ं माँ
नाटककार – अ द त लोह टया
पा : अ द त , अ द त क माँ , ीती
(अ द त अपने कमरे से बाहर आती है)
माँ: हे भगवान! तुम यह या पहन रह हो?
अ द त: म पट और शट पहन रह हूँ। य ?
माँ: आपने बाहर का मौसम देखा? बाहर बहुत ठंड है!
अ द त: अरे नह ं माँ! बाहर बहुत गम है। बाहर दे खए। बाहर सूरज नकल आया है।
माँ: नह ं! बाहर बहुत ठंड है। अपनी टोपी पहनो! द ताने पहनो! कोट पहनो! सब कु छ पहनो!
अ द त: नह ं माँ! मुझे अके ला छोड़ दो! बाहर ठंड नह ं है!
( ीती अपने कमरे से बाहर आती है)
ीती: माँ, म पाठशाला के लए या कपड़े पहनूँ?
माँ: वेटर पहनो! टोपी पहनो! द ताने पहनो! कोट पहनो! जूते पहनो! अपने सारे कपड़े पहनो! बाहर
बहुत ठंड है।
ीती: नह ं! नह ं! नह ं! नह ं! बाहर ठंड नह ं है!
माँ: ीती और अ द त! मेर बात सुनो! या तुम दोन बीमार होना चाहती हो? अपने कपड़े अभी
बदलो!
ीती और अ द त: नह ं! हम आपक बात नह ं सुनगे!
माँ: ठ क है! तुम दोन एक स ताह के लए ट .वी. नह ं देख सकतीं!
ीती और अ द त: ठ क है! ठ क है! हम अपने कपड़े बदल रहे ह!
माँ: बलकु ल!
“िजस देश को अपनी भाषा और अपने सािह य के गौरव का अनुभव नह है, वह उ त नह हो सकता।"
देश र डॉ. राजे साद
15. कमभू म पृ ठ 15
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
बाज़ार चलो
नाटककार- सुधीश देवा डगा पा - माँ, रि म, और सुधीश
(घर म)
माँ: आओ ब चे लोग। हम बाजार चलते ह।
सुधीश: या मेरा आना ज र है?
माँ: हाँ, आपको आना ह पड़ेगा।
सुधीश: फर ठ क है, म चलता हूँ।
रि म: म तैयार हूँ। मुझे कपड़े खर दने है। ज द आओ सुधीश!
सुधीश: आता हूँ। इतनी ज द भी या है?
(स जी क दुकान म)
माँ: तुमको कौन सी स जी पसंद है बेट ?
रि म: मुझे पालक लेनी है।
सुधीश: और मुझे आलू चा हए। ता क आप मेरे लए समोसे और पकौड़े बना सक।
माँ: ठ क है। म घर जाकर समोसे बना दूँगी।
सुधीश: ध यवाद माता जी।
(सि जयाँ खर दकर सभी लोग कपड़े क दुकान पर जाते ह)
रि म: देखो! यह गुलाबी रंग क कमीज बहुत सु दर है। और यह नील वाल भी!
सुधीश: मुझे कपड़े खर दना अ छा नह ं लगता है। या अब हम लोग वा पस घर जा सकते ह?
माँ: नह ं, अभी बहुत सार दुकान म जाना है लगभग पाँच और।
सुधीश: या???
गलत काम पर बहस
नाटककार: णय ज गी पा - णय, णय के पता, णय का छोटा भाई अंश
(श नवार का दन - ातः काल)
णय के पता: णय, अंश रो य रहा है?
णय: मने कु छ नह ं कया पापा। मुझे नह ं पता अंश य रो रहा है।
अंश: पापा, भा (भाई) ने मुझे मारा।
पापा: णय तुमने अंश को य मारा?
( णय अपने भाई को गु से से देखता है और बोलता है)
णय: पापा अंश ने मेरे गृहकाय पर पेन से लक र लगा द है और अंश क वजह से मेर अ या पका
से मुझे डाँट पड़ेगी।
पापा: तु ह अपने भाई को नह ं मारना चा हए। वह तुमसे छोटा है। तु ह उसे समझाना चा हए।
णय: पापा, पर म अपने गृहकाय का या क ँ जो अंश ने खराब कर दया है?
पापा: कोई बात नह ं बेटा, तुम फर से कर लो। म अंश को समझाता हूँ। वह आगे से तु हारा
गृहकाय खराब नह ं करेगा। पर तुम अपने भाई को कभी नह ं मरना।
णय: ठ क है पापा म ऐसा काम कभी नह ं क ँ गा।
16. पृ ठ 16 कमभू म
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
म ऋतु ज गी, म यमा -३ क श का हूँ और गीता देवा डगा सह- श का ह। इस
वष म यमा-३ के ब च ने भारत के व भ न योहार पर एक ोजै ट बनाया है।
योहार से स बं धत च और उन का ववरण ब च ने वयं कया है और यह
पूरा ोजै ट उ ह ने क ा म बनाया है।
ऋतु ज गीगीता देवा डगा
चैर हल म यमा-३ पाठशाला ोजै ट
व ान मेरा य वषय है। व ान म अनेक कार क े णयाँ होती ह, जैसे जीव
व ान, रसायन व ान और भौ तक व ान। आप एक वै ा नक हो तो आप बहुत
ानी कहलाते हो। व ान कई नौक रय म भी उपयोगी है। म एक वै ा नक
बनना चाहता हूँ। ऋषभ राउत - ए डसन हंद पाठशाला म यमा-३
व ान
ऋषभ राउत
17. कमभू म पृ ठ 17
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
जनवर के मह ने म मने अपनी क ा म महा मा गाँधी जी के बारे म भाषण
दया। वे भारत के पता ह। उ ह ने भारत के पतीस करोड़ लोग को वतं ता
दलाई। उ ह ने अ हंसा से अं ेजी शासक को हराया। वे अपने कपड़े खुद बनाते
थे। वे ने सन मंडेला क ेरणा थे। उनके स या ह के माग ने भारत के लोग को
ेरणा द । उनके जीवन से मुझे भी ेरणा मलती है।
महा मा गाँधी
इस बार हम छु याँ बताने ू ज़ पोत पर गए थे। हम पाँच दन ू ज़ पोत म रहे।
ू ज़ पोत हम पोट, बहामास ले गया, जहाँ हमने ८ घंटे बताए। बहामास से
हम टै पा गए। वहाँ समु के कनारे हमने बहुत म ती क । ू ज़ पोत से फर
हवाई जहाज म या ा करते हुए हम यू जस लौट आए।
हमार या ा
म बड़ी हो कर एयरो पेस इंजी नयर बनना चाहती हूँ। मुझे तरह-तरह क चीज
बनना अ छा लगता है। मेर च एयरो पेस इंजी नय रंग म दो साल पहले शु
हुई थी। मुझे अपना ल य पाने के लये बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। इस वजह से
अब म ग णत और व ान पर बहुत यान देती हूँ।
म बड़ी हो कर या बनना चहती हूँ
पाठशाला एक पढ़ने क जगह होती है। हम वहाँ ग णत सीखते ह। पाठशाला म
हम म भी बना सकते ह। मेरा य वषय कला है। आपका य वषय या है?
पाठशाला
ेया प तबंदा
न तन च ाला
सुहानी गु ता
यंका स हा
ए डसन पाठशाला म यमा-३
18. पृ ठ 18 कमभू म
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
श काएँ - साधना जैन एवं अलका भार वाज
साउथ ंि वक ह द पाठशाला
म यमा-२ तर म ब च को स जी, फल, खाने-पीने क चीज के नाम व इमारत इ या द के नाम सखाए
जाते ह। ब च ने सीखे गए ह द ान के आधार पर अपनी मतानुसार तुत लेख लखे ह।
सि जयाँ
आलू, टमाटर, और भंडी।
सब सि जयाँ ह ज र ।
कु छ सि जयाँ ह कम वा द ट।
तो कु छ सि जयाँ ह मजेदार।
पर मुझे कु छ नह ं है भाती
फर भी सब सि जयाँ ह ज र ।
वे दका चाट
भंडी
भंडी मेर मनपसंद स जी है। मुझे भंडी
अ छ लगती है, य क वह बहुत वा द ट
होती है। पराठे और रोट के साथ और भी
वा द ट लगती है। जब भी हम बाहर खाना
खाने जाते ह, म भंडी मसाला मँगवाता हूँ।
मानस चौरे
सि जयाँ
मेर माँ टमाटर से अचार बनाती है।
राजमा के साथ म अचार खाता हूँ।
मेर माँ आलू क स जी भी बनाती है।
गाजर से वह हलवा भी बनाती है।
ये सभी सि जयाँ मुझे पसंद ह।
अं कत चडढा
मठाइयाँ
मुझे मठाइयाँ बहुत पसंद ह।
मेर मनपसंद मठाई पेड़ा है।
मठाई म बहुत श कर होती है, इस लए वो
वा द ट होती है।
योहार के दन मेर माँ मठाइयाँ बनाती ह।
ओमकार कदम
19. कमभू म पृ ठ 19
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
श काएँ - साधना जैन एवं अलका भार वाज
साउथ ंि वक ह द पाठशाला
जलेबी
मेर मनपसंद मठाई जलेबी है।
जलेबी भारत म एक स मठाई है। जलेबी
सप ले आकर क होती है। जलेबी पील या
नारंगी रंग क होती है। मेर म मी कभी -
कभी जलेबी बनाती है।
आकाश जैन
पेड़ा
पेड़ा मेर मनपसंद मठाई है। पेड़े
कई रंग म आते ह जैसे भूरा, पीला, और
सफे द। पेड़ा गोल आकार का होता है। मुझे
पेड़ा पसंद है य क वो बहुत मीठा होता है
अ नका मेनन
समु
मुझे समु पसंद है य क वह सु दर और
रह यमय होता है। समु जीवन और जो खम
से भरा है। शाक और समु रा स मुझे
अ छे लगते ह। म दूरदशन म ‘लाइफ’
धारावा हक देखता हूँ। पृ वी पर चार समु
ह।
वयं ीवा तवा
बाघ
बाघ एक बहुत बड़ा जानवर है।
बाघ नारंगी और काले रंग का
सु दर जानवर है। बाघ जंगल म
रहता है।
यादातर बाघ ए शया के जंगल म पाए जाते
ह।
अरनव धाम
20. पृ ठ 20 कमभू म
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
पाथ संह प रहार
हंद से सं कृ त क ओर
जब मेरा ं टन जैसे उ कृ ट व व व ालय म
दा खला हुआ तो मने सोचा, "यह दु नया का एक ऐसा
अि तीय थान है जहाँ पर ऐसा कोई भी वषय नह ं होगा
जो पढ़ाया ना जाए। यहाँ का व ाथ दु नया के हर कोने
को -- और इस दु नया से बलकु ल वपर त कई थान
को-- कु शलतापूवक खोज सकता है। वह हर रा ता िजसका
ल य व ा ा त करना हो अड़चन और बाधाओं से परे
है।” यहाँ पर भारत और "साउथ ए शया" क पढ़ाई करने
के साधन बहुत कम ह। ह दू धम, सं कृ त, वचारधारा
पर कोई भी क ा नह ं है। यहाँ पर भारतीय इ तहास
मुग़ल शासन से शु होता है, भारतीय सा ह य का कोई
नाम और नशान नह ं है, और ह द और उदू के
अ त र त कोई भारतीय भाषा है ह नह ं।
भारतीय व ा के इस रे ग तान म मने पछले
वष एक म उ ान पाया। यहाँ पर सं कृ त क श ा
पछले वष आर भ हुई और मने खुशी-खुशी इस अवसर
को दोन हाथ से पकड़ने का पूणतः यास कया। अब म
सं कृ त के दूसरे वष क पढ़ाई कर रहा हूँ। म अब भगव
गीता के लोक और 'बु -च रतं' का का य समझ सकता
हूँ। भारतीय सं कृ त इन दोन कहा नय के हर श द म
झलकती है। इ ह वयं पढ़ने और समझने म जो आनंद
आता है उसे अनुवाद पढ़ने के अनुभव से या ट .वी. ो ाम
देखने के मजे से नह ं तौला जा सकता।
क तु म इस अवसर को तभी "दोन हाथ से
पकड़ सकता" था जब मेरा ह द का ान मजबूत होता।
इस लए म ह द यू.एस.ए. का आभार य त करना
चाहता हूँ क उ ह ने मुझे वह श ा द िजसका म
व व व ालय म जाकर उपयोग कर सका। िजससे म
अपनी नराशा को तोड़ने म सफल हो सका। म इस सं था
को अपने अनेकानेक ध यवाद एवं शुभकामनाएँ भेजता हूँ।
मेरा नाम अ ता गग है। मेरा य योहार होल है। होल रंग का योहार है। यह
योहार माच के मास म मनाया जाता है। यह योहार भारत और नेपाल म मनाया
जाता है। यह भारत का सबसे पुराना योहार है। अब म आपको होल क कहानी बताती
हूँ। एक रा स था िजसका नाम हर यक यप था। उसक बहन का नाम हो लका थ। भगवान ने
हर यक यप को बहुत से वरदान दए िजससे वह आसानी से नह ं मर सकता था। हर यक यप के बेटे का
नाम लाद था। सार जा हर यक यप से डरती थी। लाद बहुत धा मक था। वह व णु भगवान क
ाथना करते थे। वह भगवान क कृ पा से बार-बार मरने से बच गया इसी लए हम होल मनाते ह। इस
योहार पर हम बहुत सार चीज खाते ह। हम आलू-पूड़ी, हलवा, चूरमा, वड़ा-पाव और ल डू खाते ह। जब
होल का दन आता है, तब हम मि दर जाते ह। हम लोग पर रंग लगाते ह और खूब मजा करते ह।
मेरा य योहार
21. कमभू म पृ ठ 21
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
फागुन के रंग
सुषमा कु मार जी ह द यू.एस.ए. से पछले ४ वष से होमडेल ह द व यालय क संचा लका के प म
जुड़ी हुई ह। सुषमा जी ने श ण म बी.ए. और एम.ए. रटगस यू नव सट से ा त कये ह। सुषमा जी
पछले बीस वष से ई ट ंि वक मडल कू ल म क यूटर क अ या पका ह। इ ह संगीत और कक
बॉि संग म बहुत च है।
गत १४ माच को होमडेल ह द पाठशाला के
ाँगण म होल के रंग क छटा बखेर ।
अ या पकाएँ, छा , छा ाएँ और उनके अ भभावक
अनुमानतः सौ से ऊपर सं या म सट मडल कू ल,
होमडेल म एक त हुए। उ साह सबके चेहर पर
त बि बत था। छा छा ाएँ स न थे, य क
ह द क क ा के थान पर वे आज होल खेलने
जा रहे थे। व ालय के पाँच तर ने एक-एक कर
के होल से स बि धत काय म तुत कए।
म यमा-२ के छा ने होल का मह व और मनाने
के तर के का वणन कया। म यमा-१ के छा ने
होल क एक क वता पढ़ कर सभी सुनने वाल का
दल जीत लया। थमा-१, थमा-२, और क न ठ १
और २ के छा ने अपने बड़े तर के ब च से
े रत हो कर और भी उ साह से अपने-अपने
काय म को तुत कया। अपने ब च के मुँह से
भारतीय रा भाषा, ह द के श द सुन कर
अ भभावक के चेहरे पर गव देखते ह बनता था।
होल सं कृ त के श द ‘होला’ का श प
है। होल के दन म चने क नई फसल आती है।
चने क भुनी हुई बाल को "होला" कहते ह। इसी
"होला" श द से इस पव का नाम होल पड़ा। वै दक
काल म अपने खेत क बाल को य क प व
अि न म आहु त दे कर साद लेने और बाल को
भून कर खाने का चलन समाज म या त था।
आज के समय म हो लका का जलाना उसी य
काल का प रव तत प है। होल श द से स बि धत
पुराण म हो लका के नाम से कई कथाएँ ह। उनम
सबसे स है हर यक यपु और हलाद क कथा।
हर यक यपु का एक अ यंत बलशाल और
अ याचार असुर था जो अपने बल के दप म वयं
को ई वर मानता था। उसका पु हलाद अ यंत
ई वर भ त था। हर यक यपु ने हलाद को अनेक
कठोर दंड दये पर उसने परमा मा क भि त का
माग नह ं छोड़ा। यह कंवदंती है क अंत म उसने
अपनी बहन हो लका को हलाद को गोद म लेकर
अि न म बैठने का आदेश दया। हो लका को अि न
म न जलने का वरदान था। आग म बैठने पर
हो लका तो जल गई पर तु भ त व सल परमा मा
ने हलाद का बाल भी बाँका नह ं होने दया। तीक
प से जो यि त अधम का साथ देता है वह
नि चत प से न ट हो जाता है और जो भगवत
माग पर आ था और व वास से अ डग रहता है
उसका सदैव क याण होता है। उस दन स य ने
अस य पर वजय घो षत कर द और तब से लेकर
आज तक हो लका-दहन क मृ त म होल का पव
मनाया जाता है।
होमडेल ह द पाठशाला म ब च और उनके
अ भभावक ने अपने हाथ म लाल, हरे, पीले रंग
का गुलाल लेकर खूब ह धमाल मचाया। कह ं ब चे
एक दूसरे के पीछे भागते नजर आ रहे थे तो कह ं
बड़े पर पर ेमभाव से गले मलते। यूिज़क स टम
म होल के गाने जोर-जोर से बज रहे थे और कई
लोग अपने ह नृ य म आनं दत थे तो कु छ अपनी
नृ य कु शलता को द शत कर के फू ले नह ं समा रहे
थे। भाँ त-भाँ त के पकवान का ढेर देखते ह बनता
22. पृ ठ 22 कमभू म
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
योहार म कैसे बनाएँ गुिजया
मेरा नाम वनीता गु ता है। मेरा ज म वा लयर (म. .) म हुआ था और मने K.R.G महा व ालय
से अथशा म नातको तर कया है। म तीन साल से हंद यू.एस.ए. क होमडेल शाखा से जुड़ी हुई
हूँ और वहाँ म यमा-२ के ब च को पढ़ाती हूँ। हम सब बहुत आभार ह क इस देश म रहकर भी
हमारे ब चे हंद बोलना, लखना और पढ़ना सीख रहे ह।
था। उपि थत यंजन और पेय पदाथ का सभी ने आनंद उठाया। ह द यू.एस.ए. के सभी सद य को
होमडेल ह द पाठशाला क ओर से होल क शु्भ कामनाएँ। आने वाले वष म भी होल इसी कार का
आनंद और हष ले कर आए, ऐसी हमार कामना है और व वास भी!!
साम ी - २५० ाम मैदा, ७५ ाम घी या तेल मोईन के लए, ३-४ कप तेल तलने के लए।
आटे को ठ डे पानी से मुलायम सा गूँथ कर ढक कर रख द।
गुिजया के अ दर भरने का सामान
५० ाम सूजी, १२५ ाम द प का म क मावा पाउडर, २०० ाम चीनी, १/२ कप ना रयल का पाउडर, १/४
कप बादाम का पाउडर, १ बड़ी च मच कश मश, १ छोट च मच चर जी, ३-४ इलायची का पाउडर
व ध - सबसे पहले कड़ाह म सूजी ह क गुलाबी होने तक भून ल। फर ठ डा होने पर उसम म क मावा पाउडर
के स हत सार साम ी मला कर गुिजया के अंदर का म ण तैयार कर ल। गुँथे हुए आटे क छोट -छोट लोई बना ल।
उसको गोल, पूर क तरह बेल कर गुिजया भरने के साँचे म रख कर बीच म १ च मच बनाया हुआ म ण डाल द।
अब साँचे को बंद कर द और बाहर नकला हुआ मैदा नकाल कर अलग कर द और गुिजया को साँचे से नकाल द। इस
कार सभी गुिजया बना ल। अब कड़ाह म तेल या घी डाल कर गरम कर ल और धीमी आँच पर गुलाबी होने तक तल
ल। योहार पर अपनी बनाई हुई गुिजया का आनंद ल व अपने म को भी खलाएँ।
23. कमभू म पृ ठ 23
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
ाची संह प रहार
ह द यू.एस.ए. क चैर हल पाठशाला से नातक हुई ाची कै लफो नया के कै लटेक व व व ालय
म पी.एच.डी. कर रह ह।
जब तक म हाई कू ल म रह तब तक म
एक वयंसे वका के प म ह द यू.एस.ए. और
ह द से जुड़ी रह । मेरे लए ह द बोलना कोई
वशेष कला या गुण नह ं रहा य क मेरा बचपन
ह द और भारतीय सं कृ त के वातावरण म बीता
और ह द मेरे जीवन और मेर दनचया का एक
अंग रहा। ह द लखना और पढ़ना मने ह द
यू.एस.ए. म सीखा।
जब म पूव नातक ो ाम के लए ं टन
व व व यालय गई तो वहाँ मने बहुत सारे भारतीय
व या थय के होने के बाद भी हंदू धम के त
जाग कता तथा ह द भाषा का नतांत अभाव
अनुभव कया। मने इस अभाव को हंदू स संगम
( ं टन का हंदू समूह) क अ य ा तथा
वयंसे वका बनकर कु छ सीमा तक दूर कया। इसके
अ त र त भोजनालय म ‘ ह द मेज’ ारंभ क जहाँ
व याथ खाना खाते समय अपने वचार ह द म
य त कर सकते थे। कभी-कभी ं टन क ह द
अ या पका को उ तरपुि तकाएँ जाँचने म भी म
सहायता करती थी।
पछले वष मने जब पी.एच.डी. करने के लए
कै लफो नया के कै लटेक व व व ालय म वेश लया
तब मुझे अपने पर सचमुच गव हुआ य क यहाँ पर
पी.एच.डी. ो ाम म भारत से आए हुए व या थय
क सं या बहुत अ धक है। ये सभी व याथ बहुत
अ छ ह द बोलते ह और इन सबके बीच मने
अपने आपको कभी अलग महसूस नह ं कया और न
ह उन लोग को कभी पता चला क मेरा ज म और
परव रश दोन अमे रका म ह हुए ह।
म आज ह द भाषा को जो स मान दे पाई
तथा िजस आ म व वास के साथ आज म ह द
बोलने म गव का अनुभव करती हूँ यह सब के वल
ह द यू.एस.ए. और वशेषकर ह द महो सव वारा
ह संभव हो सका है। अपनी पढ़ाई पूर करने के बाद
भ व य म म एक बार फर से ह द यू.एस.ए. क
वयंसे वका बनना चाहूँगी।
मौसम समाचार
आज मुझे मौसम के बारे म बात करनी है। इस स ताह बहुत बा रश हुई। पछले
दन म एक-दो दन गम थी और कल स तावन ड ी है। हम बहुत खुश ह
य क हम मोटा कोट नह ं पहनना पड़ेगा। यह इस स ताह का मौसम है।
ता या म ा — ए डसन हंद पाठशाला - म यमा ३
24. पृ ठ 24 कमभू म
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
नवरा ी एक हंदु तानी उ सव है जो नौ दन
तक दन-रात मनाया जाता है। नवरा ी शीतकाल के
आगमन क नशानी है। यह उ सव दुगा जी के हाथ
म हसासुर क मृ यु क खुशी म मनाया जाता है।
नवरा ी म हम आ द शि त के प म दुगाजी को
पूजते ह। माता के नव प माता शैलपु ी, माता
मचा रणी, माता चं घंटा, माता कू मांडा, मा क द
माता, माता का यायनी, माता कालरा , माता महा
गौर , और माता स दा ी ह। दुगाजी के नव प को
हम ाथना करते ह क वे हम ान, धन, समृ
और प व ता द। नवरा ी भारत के हर एक रा य म
अलग तर के से मनाया जाता है। कु छ लोग दुगाजी
का नाम जपते ह और कु छ लोग पूजा करते ह।
नवरा ी म कु छ लोग उपवास रखते ह और बहुत सारे
लोग मं दर जाते ह।
नवरा ी के दन गुज़रात म लोग गरबा का
नृ य करते ह। गरबा का नृ य एक द पक या देवी
शि त क तमा के सामने कया जाता ह। गरबा के
गीत भगवान कृ ण के या नव दे वय क शंसा म
गाए जाते ह।
बंगाल म, म हलाएँ लाल बॉडर वाल सफे द
साड़ी पहन कर ज न मनाती ह। नवरा ी के दन
शाकाहार खाना खाया जाता है, रात म दया जलाया
जाता है, और भारत के दूसरे ात क तरह बंगाल म
भी लोग नये कपड़े पहनते ह। कु छ लोग द पक
जलाते हुए रात भर जागरण करते ह। दुगा माता क
मू त क लोग घर म त ठा करके , फू ल के साथ
पूजा करते ह और फल का अपण करते ह। मं दर
और घर म भजन गाए जाते ह, और देवी से अपनी
इ छाएँ य त करते ह।
नवरा ी भारतीय लोग के लये बहुत ह
मह वपूण दवस ह। नवरा ी के बाद का दन,
वजयदशमी या दशहरा के नाम से मनाया जाता है
और वजयदशमी के ठ क बीस दन बाद दवाल
आती है। ब चे और बड़े ये तीन योहार बहुत ह
खुशी के साथ मनाते ह।
नवरा ी
णव रे डी
मेरा नाम ता या संह है। म आपको द पावल के बारे म बताना चाहती हूँ। द पावल म
मेरा प रवार गु ारे जाते ह। फर हम घर आकर पटाखे जलाते ह और खाने के
साथ मीठा खाते ह। द पावल काश का योहार है। उस दन हम मोमबि तयाँ
जलाते ह, य क द पावल के दन राम जी जब अयो या वा पस आए थे तो बहुत
अंधेरा था, तब सब लोग ने दये जलाए थे। द पावल पर लोग नये कपड़े पहनते ह और
घर क सफाई करते ह, इससे ल मी जी आती ह और आशीवाद देती ह। लोग पटाखे से
खेलते ह और खु शयाँ मनाते ह। मुझे द पावल का योहार बहुत अ छा लगता है।
25. कमभू म पृ ठ 25
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
धमा बी: एक अनुभव
यो त काबरा ए डसन हंद पाठशाला म उ च तर-२ क छा ा ह। यो त को भारतीय
सं कृ त से जुड़ी कहा नयाँ पढ़ने व सुनना बहुत पसंद है। संगीत एवं च कार म यो त
क वशेष च है।
२०१३ म मने धमा बी तयो गता म भाग
लया था। यह तयो गता पूरे अमे रका म वामी
ववेकान द के १५० व ज म दवस मनाने के हेतु
आयोिजत क गयी थी। मने भगवान कृ ण के बाल
प और ववेकान द के जीवन पर बहुत पढ़ाई क ।
पहले बाल कृ ण मेरे लए सफ माखन चोर थे और
िज ह ने कं स का वध कया था। धमा बी म भाग
लेने के बाद मुझे पता चला क बाल कृ ण ने अनेक
दै य का वध कया जैसे बकासुर, धेनुकासुर, पूतना,
आ द। मने यह जाना क वे वृंदावन के लाडले थे।
ववेकान द के वषय पर भी मने बहुत सीखा। उनक
समाज सेवा, अमे रका या ा, एवं उनके वचार ने
मुझे भा वत कया। धमा बी सफ एक तयो गता
ह नह ं अ पतु अमे रका म ि थत हम व या थय
को भारत के इ तहास एवं सं कृ त से सफलतापूवक
जुड़े रहने का मा यम भी है। यू जस के धमा बी
तयो गता म मुझे तीसरा थान ा त हुआ था व
बधाई म पदक और ाफ मल थी। आशा है धमा
बी जैसी तयो गताएँ अमे रका म नय मत प से
आयोिजत क जाएँगी।
26. पृ ठ 26 कमभू म
हंद यू.एस.ए. काशन HindiUSA Publication
म नहा रका ीवा तव पछले आठ वष से साउथ ंि वक ह द पाठशाला से जुड़ी
हुई हूँ। पछले दो वष से उ च तर क क ा को पढ़ाने का सौभा य ा त हुआ है।
इस वष हमार क ा के व या थय ने अपनी ह द क ा के अनुभव छोटे-छोटे
लेख के मा यम से तुत कए ह। मुझे आशा है क आपको ब च क कलम
वारा लखे लेख अव य पसंद आएँगे।
मेरा नाम शवानी गोगवेके र है। म दसवीं क ा क छा ा हूँ। म साउथ ंि वक पाठशाला
से इसी वष से युवा कायकता के प म जुड़ी हूँ। इस वष नहा रका जी के साथ सहायक
श का के प म ह द पढ़ाना बहुत अ छा लगा। ब च के साथ वातालाप करते हुए
बहुत आनंद का अनुभव होता है।
कै से आया जूता
मेरा नाम नील बंसल है और म यारहवीं क ा म पढ़ता हूँ। म साउथ ंि वक हाई कू ल म पढ़ता हूँ और
ह द यू.एस.ए. क साउथ ंि वक पाठशाला म ह द पढ़ता हूँ। हंद कू ल म, म उ च तर दो क क ा
म हूँ। बड़ा होकर, मुझे मेरा अपना बज़नेस खोलना है। मने एक कहानी लखी है जो हम एक मह वपूण
पाठ सखाती है क हमेशा कसी सम या के ऐसे हल के बारे म सोचना चा हए जो अ धक उपयोगी हो।
एक बार क बात है एक राजा था। उसका एक
बड़ा-सा रा य था। एक दन उसे देश घूमने का वचार
आया और उसने देश मण क योजना बनाई और
घूमने नकल पड़ा। जब वह या ा से लौट कर अपने
महल आया। उसने अपने मं य से पैर म दद होने
क शकायत क । राजा का कहना था क माग म जो
कं कड़ प थर थे वे मेरे पैर म चुभ गए और इसके
लए कु छ इंतजाम करना चा हए।
कु छ देर वचार करने के बाद उसने अपने
सै नक व मं य को आदेश दया क देश क संपूण
सड़क चमड़े से ढंक द जाएँ। राजा का ऐसा आदेश
सुनकर सब सकते म आ गए। ले कन कसी ने भी
मना करने क ह मत नह ं दखाई। यह तो नि चत
ह था क इस काम के लए बहुत सारे पय क
आव यकता थी। ले कन फर भी कसी ने कु छ नह ं
कहा। कु छ देर बाद राजा के एक बु मान मं ी ने
एक युि त नकाल । उसने राजा के पास जाकर डरते
हुए कहा क म आपको एक सुझाव देना चाहता हूँ।
अगर आप इतने पय को अनाव यक प से
बबाद न करना चाह तो एक अ छ तरक ब मेरे पास
है। िजससे आपका काम भी हो जाएगा और
अनाव यक पय क बबाद भी बच जाएगी। राजा
आ चयच कत था य क पहल बार कसी ने उसक
आ ा न मानने क बात कह थी। उसने कहा बताओ
या सुझाव है। मं ी ने कहा क पूरे देश क सड़क
को चमड़े से ढकने क बजाय आप चमड़े के एक
टुकड़े का उपयोग कर अपने पैर को ह य नह ं ढक
लेते। राजा ने अचरज क ि ट से मं ी को देखा और
उसके सुझाव को मानते हुए अपने लए जूते बनवाने
का आदेश दे दया।